रक्ताल्पता अभियान
निरोगी राजस्थान अभियान के अन्तर्गत
बालिकाओं में रक्ताल्पता (एनीमिया/पाण्डु रोग) नियन्त्रण अभियान
WHO के डेटाबेस
के
अनुसार
विश्व
में
एनीमिया
का
प्रसार
25 प्रतिशत
है
एवं
468 मिलियन
महिलायें
रक्ताल्पता
से
ग्रसित
है।
विश्व
में
सबसे
ज्यादा
एनीमिया
भारत
में
देखने
को
मिलता
है।
NFHS-5 की रिपोर्ट
के
अनुसार
भारत
में
एनीमिया
का
प्रसार
59.1 प्रतिशत
है।
राजस्थान
जनसंख्या
वितरण
एवं
भौगोलिक
दृष्टि
से
देश
का
एक
विशिष्ट
राज्य
है
जहां
पर
एनीमिया
सबसे
अधिक
देखने
को
मिलता
है।
रक्ताल्पता
ग्रस्त
किशोरियां
(15-19 वर्ष के
बीच)
56.6 प्रतिशत
शहरी
राजस्थान
में
तथा
ग्रामीण
क्षेत्रों
में
60.1 प्रतिशत
है।
राज्य
में
औसत
59.4 प्रतिशत
किशोरियां
रक्ताल्पता
से
ग्रसित
है।
स्थिति
चिन्ताजनक
है
अतः
रक्ताल्पता
निवारण
हेतु
और
अधिक
प्रयासों
की
आवश्यकता
है।
आयुर्वेद
पद्धति
का
रक्ताल्पता
निवारण
में
महत्वपूर्ण
योगदान
हो
सकता
है।
राजस्थान
राज्य
की
जनता
में
आयुर्वेदिय
औषधियों
द्वारा
निरापद
चिकित्सा
के
प्रति
दृढ
विश्वास
है
क्योकि
इसकी
औषधी
Hero-mineral के प्राकृतिक
स्त्रोत
से
निर्मित
होती
है
जो
कि
शरीर
व
मन
की
प्रक्रियाओं
(Biological
function) के
लिये
सुग्राहि
होती
है।
इसी
वजह
से
आयुर्वेद
विभाग
राजस्थान
सरकार
अजमेर
द्वारा
माह
जनवरी
2022 से राजकीय
विद्यालयो
में
अध्यनरत
9 वी से
12 वी तक
की
एनीमिया
(रक्ताल्पता/पाण्डु
रोग)
से
ग्रसित
बालिकाओं
को
(धात्री
लौह/नवायस लौह)
की
औषध
का
दो
गु्रपो
में
विभाजित
कर
प्रति
दिन
250 से 500उह
की
मात्रा
मे
60 दिवस तक
दी
जायेगी
वैज्ञानिक
परिणाम
प्राप्त
करने
की
दृष्टि
से
औषध
दी
जाने
से
पूर्व
तथा
औषध
देने
के
प्रति
15-15 दिवस के
पश्चात
हिमोग्लोबिन
जॉच
करवायी
जावेगी
जो
कि
चिकित्सा
एवं
स्वास्थ्य
विभाग
के
सहयोग
से
होगी
जिसके
परिणामो
का
आकलन
हिमोग्लोबिन
जॉच
रिर्पोट
व
एनिमिक
(रक्ताल्पता)
समान
लक्षणों
के
आधार
पर
डॉ.
एस.आर राजस्थान
आयुर्वेद
विश्वविद्यालय
जोधपुर
के
सहयोग
से
वैज्ञानिक
आधार
पर
विश्लेषण
करवाया
जाकर
प्राप्त
परिणामो
के
आधर
पर
राज्य
भर
मे
रक्ताल्पता
(एनीमिया/पाण्डु
रोग)
नियन्त्रण
अभियान
विभाग
द्वारा
संचालित
किया
जा
रहा
है।
वर्तमान
में
विभाग
द्वारा
प्रथम
चरण
के
रुप
मे
इस
अभियान
की
शुरुआत
भरतपुर
संभाग
के
जिला
भरतपुर
से
जनवरी
2022 से कर
दी
गयी
है।